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परिवार के लिए किरण ने टैक्सी तक चलाई, सरकार को पता चला तो विदेश पढ़ाई के लिए 40 लाख दे दिए!.

दि. 01.08.2023

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परिवार के लिए किरण ने टैक्सी तक चलाई, सरकार को पता चला तो विदेश पढ़ाई के लिए 40 लाख दे दिए!.

मीडिया वी.एन.आय : 

गडचिरोली : एक लड़की बचपन से ही विदेश जाकर पढ़ाई करने के सपने देखती थी. लेकिन उनका जन्म एक ऐसी जगह हुआ जहां 2010 से पहले ठीक से पीने का पानी और बिजली तक नहीं आती थी. गढ़चिरौली के सिरोंचा शहर के रेगुंटा गांव में.

लेकिन लड़की ने परेशानियों के आगे हार नहीं मानी. दिल्ली में काम किया, अपने सपने के लिए टैक्सी चलाई. हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र की किरण रमेश कुर्मावार की. अब जाकर उनकी परेशानियों का समाधान हुआ है. राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उन्हें 40 लाख रुपए दिए हैं ताकि किरण विदेश जाकर अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक किरण के पिता रमेश की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है. किरण की पढ़ाई रेगुंठा से ही हुई थी. उन्होंने इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम (IELTS) का टेस्ट भी पास किया है. टेस्ट पास करते ही उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स में एडमिशन ले लिया. लेकिन आगे जाने के लिए उनको स्कॉलरशिप की जरूरत थी. इसलिए वो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मदद मांगने पिछले हफ्ते मुंबई चली गई थीं. उन्होंने स्वयं समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों को फ़ोन कर सारी जानकारी दी.

वहीं इंडिया टुडे से जुड़े व्येंकटेश दुडमवार की रिपोर्ट के मुताबिक किरण से पहले उनके पिता टैक्सी चलाते थे. लेकिन एक एक्सीडेंट में घायल होने के बाद उन्हें ड्राइविंग बंद कर दी. ऐसे में परिवार के गुजर-बसर के लिए किरण ने स्टेयिरंग पकड़ लिया. इस संघर्ष में उनका सपना पीछे छूटा जा रहा था. जब सरकार को उनकी कहानी पता चली तो सीएम एकनाथ शिंदे ने महिला टैक्सी चालक को तुरंत आर्थिक सहायता देने का फैसला किया.

इंडिया टुडे के मुताबिक कुछ करीबी लोगों ने किरण को सीएम शिंदे से मिलने की सलाह दी थी. उसके बाद ही उनकी आगे की पढ़ाई का रास्ता खुला. आजतक से बातचीत के दौरान किरण ने बताया,

"मेरा नाम किरण रमेश कुर्मावार है. मैं गढ़चिरौली की लेडी ड्राइवर हूं. मैं रेगुंठा में रहती हूं. मेरी पढ़ाई यहीं से हुई थी. हैदराबाद के उस्मानिया यूनिवर्सिटी से मेरी पीजी हुई. मैं अपनी आगे की पढ़ाई के लिए लंदन जा रही हूं. यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स में इंटरनेशनल मार्केटिंग मैनेजमेंट में MSc करने के लिए. इसकी फीस 40 लाख़ रुपए है. स्वयं समाज कल्याण विभाग में अप्लाई किया था. उसके लिए मैं विधान भवन में गई. वहां मैं राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मिली. उन्होंने मेरी मदद की. अब मैं पढ़ाई के लिए जा रही हूं. पढ़ाई खत्म करके मैं वापस इंडिया आऊंगी. मेरा सपना है हमारे गांव को डेवलप करना." किरण रमेश कुर्मावार...

वहीं टाइम्स ऑफ इंडिया को किरण ने बताया कि उनके गांव में मुश्किल से 500 लोग हैं और कोई भी पढ़ना नहीं चाहता है. जब भी वो लोगों से पढ़ने की अपील करती हैं तो सब मना कर देते हैं. हालांकि किरण का इरादा आगे और पढ़ने का था. इसलिए वो दिन में टैक्सी चलाती थीं, लेकिन रात में पढ़ाई जारी रखी.

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