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Bharat Vs India: भारत के संविधान का अनुच्छेद 1 क्या है? भारत बनाम इंडिया की बहस में क्यों है अहम?

दि. 05.09.2023

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Bharat Vs India: भारत के संविधान का अनुच्छेद 1 क्या है? भारत बनाम इंडिया की बहस में क्यों है अहम? Explained

Bharat vs India, What is Article 1 in Constitution of India?

मीडिया वी.एन.आय : 

दिल्ली : देश की राजधानी में होने जा रहे जी20 सम्मलेन (G20 summit) के रात्रिभोज निमंत्रण के लिए राष्ट्रपति को 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' के रूप में संदर्भित करने का मामला सोशल मीडिया पर अब तूल पकड़ लिया है, इस बीच विपक्षी दलों ने सरकार आरोप लगाया कि वह देश का नाम 'इंडिया' से बदलकर 'भारत' करने का प्रयास कर रही है.

जी20 शिखर सम्मेलन के लिए तय जगह 'भारत मंडपम' में शनिवार रात आठ बजे के लिए यह निमंत्रण दिया गया है. ऐसे में भारत बनाम इंडिया (Bharat vs India) देश के संविधान (Constitution of India) के आर्टिकल-1 (Article 1) को लेकर इस मुद्दे की बहस चल पड़ी है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ से भेजे गए जी20 रात्रिभोज निमंत्रण पत्र को सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर साझा किया, जिसमें मुर्मू का उल्लेख 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' के रूप में किया गया है. राष्ट्रपति मुर्मू के जी20 रात्रिभोज निमंत्रण में उन्हें 'प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया' के बजाय 'प्रेसीडेंट ऑफ भारत' के रूप में उल्लेख किये जाने को लेकर राजनीतिक दलों और विभिन्न विचार वाले संगठनों के बीच India or Bharat debate को लेकर विवाद पैदा हो गया है और भारत बनाम इंडिया (Bharat vs India) को लेकर एक-दूसरे पर प्रत्यारोप भी लगाए जा रहे हैं.

 भारत बनाम इंडिया (Bharat vs India) की बहस का क्या महत्व

ऐसे में हमें देश के संविधान (Constitution of India? के आर्टिकल-1 (Article 1) में देखना होगा कि यह क्या कहता है और भारत बनाम इंडिया (Bharat vs India) की बहस का क्या महत्व है. बता दें कि इससे पहले भी कई बार देश का नाम इंडिया को हटाकर भारत करने की मांग समय समय पर उठती रही है. यह देश के शीर्ष न्यायालय तक याचिकाओं और पीआईएल के माध्यम से पहुंचती रही है. हम यहां यह देखेंगे कि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों को लेकर क्या फैसले दिए थे? संविधान एक्सपर्ट भी इंडिया से भारत नाम करने को लेकर क्या कहते हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने पीआईएल ख़ारिज करके क्या कहा था?

सुप्रीम कोर्ट ने इंडिया बनाम भारत के मुद्दे को लेकर 2016 में एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि नागरिक अपनी इच्छा के अनुसार देश को इंडिया या भारत कहने के लिए स्वतंत्र हैं, जिसमें यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि भारत को सभी उद्देश्यों के लिए 'भारत' कहा जाए. तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने महाराष्ट्र के निरंजन भटवाल द्वारा दायर जनहित याचिका इसे खारिज करते हुए कहा था "भारत या इंडिया? आप इसे भारत कहना चाहते हैं, आगे बढ़ें. कोई इसे इंडिया कहना चाहता है, उसे इंडिया कहने दें.

व्यापक राष्ट्रव्यापी बहस

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जनहित याचिका को संक्षेप में खारिज करना एक व्यापक राष्ट्रव्यापी बहस को देखते हुए प्रासंगिक हो जाता है, जो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा 'भारत के राष्ट्रपति' के रूप में उनकी स्थिति का वर्णन करने वाले जी20 रात्रिभोज निमंत्रण के बाद शुरू हुई थी.

'इंडिया' के बजाय 'भारत' पर सरकार का कोर्ट में क्या था रुख

जी20 आमंत्रण पर विपक्ष की आलोचना का सामना कर रहे केंद्र ने नवंबर 2015 में शीर्ष अदालत से कहा था कि देश को 'इंडिया' के बजाय 'भारत' कहने की जरूरत नहीं है. इसमें कहा गया था, "भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 में किसी भी बदलाव पर विचार करने के लिए परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं हुआ है."सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान सभा में समीक्षा की आवश्यकता के मुद्दे पर बहस के बाद से परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं हुआ है.

 संविधान का अनुच्छेद 1 क्या कहता है

संविधान का अनुच्छेद 1(1) कहता है, "इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा. " जनहित याचिका का विरोध करते हुए, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने कहा था कि संविधान के प्रारूपण के दौरान संविधान सभा द्वारा देश के नाम से संबंधित मुद्दों पर व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया गया था और अनुच्छेद 1 में खंडों को सर्वसम्मति से अपनाया गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिकाकर्ता पर कड़ी आपत्ति जताई थी

सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिकाकर्ता पर कड़ी आपत्ति जताई थी और उससे पूछा था कि क्या उसे लगता है कि इसका इससे कोई लेना-देना नहीं है और उसे याद दिलाया कि जनहित याचिकाएं गरीबों के लिए हैं. पीठ ने 11 मार्च, 2016 को कहा था, "पीआईएल गरीब लोगों के लिए है. आपको लगता है कि हमारे पास करने के लिए और कुछ नहीं है. " बता दें याचिका में एनजीओ और कॉरपोरेट्स को यह निर्देश देने की भी मांग की गई थी कि वे सभी आधिकारिक और अनौपचारिक उद्देश्यों के लिए भारत शब्द का इस्तेमाल करें. जनहित याचिका में कहा गया था कि देश के नामकरण के लिए संविधान सभा के समक्ष प्रमुख सुझाव "भारत, हिंदुस्तान, हिंद और भारतभूमि या भारतवर्ष और उस तरह के नाम" थे.


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